गाय के लिए हिंदू समाज द्वारा दिए गए महत्व और मान्यता को रेखांकित करते हुए, विहिप ने अपनी स्थापना के तुरंत बाद भारत में लंबे समय से चल रहे गौ संरक्षण अभियानों में अपना योगदान देना शुरू कर दिया था; परन्तु कोई स्वतंत्र विभाग नहीं बनाया गया। इस विभाग के गठन का पूरा श्रेय श्रीमंत विजयाराजे सिंधिया को जाता है।
समय-समय पर उनके बार-बार आग्रह के बावजूद एक स्वतंत्र विभाग का गठन नहीं किया जा सका। राजमाता ने भोपाल में केंद्रीय प्रणयसी मंडल की बैठक (1986) में अपनी हस्तलिपि में लिखा प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। गौ-हत्या विरोधी संकल्प में गौ-पालन एवं गौ-संरक्षण भी सम्मिलित था।
गौ-रक्षा गत 4 वर्षो का -
2019- 4700
2021- 2150
2022- 6820
2023- 4800
वर्तमान में 450 मवेशी गौशाला परिसर में हैं, जिन्हें कसाइयों के हाथों से बचाया गया है. लगभग 420 मवेशी दूध नहीं देते हैं। इस स्थान पर गाय के गोबर और गोमूत्र का 100% उपयोग किया जा रहा है। परियोजना मवेशियों के दैनिक खर्च, अनुसंधान, विकास, निर्माण गतिविधियों और विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में साहित्य के प्रकाशन के लिए आत्मनिर्भर है। सोसायटी और दानदाताओं ने इस नेक काम के लिए नियमित रूप से उदार दान के लिए संपर्क किया।
हमारे कार्यस्थल पर पिछले 11 वर्षों में गहन प्रशिक्षण और कोचिंग के माध्यम से दस हजार (10,000) से अधिक किसान आदिवासी, गोपालक, कुछ वैद्य और डॉक्टर, गौशाला-पालक लाभान्वित हुए हैं।
विश्व हिंदू परिषद के माघ मेला शिविर में मंगलवार को भारतीय गोवंश संरक्षण एवं संवर्धन परिषद काशी प्रांत की बैठक हुई। केंद्रीय मंत्री गोरक्षा वासुदेव पटेल ने कहा कि हमें गौ माता की रक्षा करने के लिए गांव-गांव जाना पड़ेगा और किसान भाइयों को यह बताना पड़ेगा कि हमारी परंपरा क्या रही है। गौ माता की रक्षा कर और उनको पालकर हम पर्यावरण की रक्षा करने के साथ ही आर्थिक समृद्धि की ओर जा सकते हैं।