The basic nature of Vishwa Hindu Parishad is service. After its establishment in 1964, various types of service works were gradually developed on the basis of natural love and affinity towards one's society. “The relationship of the world is a ‘debt bond’. The way to be free from this debt bondage is to serve everyone and not want anything from anyone.
Tihri Dam is being constructed at a height of 8,000 sq. ft. Total height of the Dam would be 2,60.5 meters. It would create a water body of 42.5 square K. Ms. It would destroy 126 villages. 85,000 people will be rendered homeless, 5,2000 hectacre of lands would be innundated. It is likely to produce 2,000 mega watts of electricity and irrigate about 2.6 lakh hectacre of land. Duration of the dam is 50 years and estimated cost is Rs.12,000 crores. 80% of the dam water would be used for irrigation and 20% would be allowed to flow. The Dam storage would be 90% from rain waters and 10% from Ganga Water.
काशी, एक ऐसा नाम जो जिह्वा पर आता है तो लगता है आत्मा पवित्र हो गयी । विश्व के सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में काशी का उल्लेख मिलता है - 'काशिरित्ते.. आप इवकाशिनासंगृभीता:'। पुराणों के अनुसार यह आद्य वैष्णव स्थान है। पहले यह भगवान विष्णु (माधव) की पुरी थी। जहां श्रीहरिके आनंदाश्रु गिरे थे, वहां बिंदुसरोवर बन गया और प्रभु यहां बिंधुमाधव के नाम से प्रतिष्ठित हुए। ऐसी एक कथा है कि जब भगवान शंकर ने क्रुद्ध होकर ब्रह्माजी का पांचवां सिर काट दिया, तो वह उनके करतल से चिपक गया। बारह वर्षों तक अनेक तीर्थों में भ्रमण करने पर भी वह सिर उन से अलग नहीं हुआ। किंतु जैसे ही उन्होंने काशी की सीमा में प्रवेश किया, ब्रह्महत्या ने उनका पीछा छोड़ दिया और वह कपाल भी अलग हो गया। जहां यह घटना घटी, वह स्थान कपालमोचन-तीर्थ कहलाया। महादेव को काशी इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने इस पावन पुरी को विष्णुजी से अपने नित्य आवास के लिए मांग लिया। तब से काशी उनका निवास-स्थान बन गया। काशी का महात्म्य ऐसा है कि यहां मृत्यु भी उत्सव बन जाती है । कभी शमशान में जलती चिताओं के भष्म से होली खेली जाती है तो कभी जलती चिताओं के बीच पूरी रात गणिकाएं नृत्य करते हुए महादेव का श्रृंगार करती हैं । इसीलिये तो काशी को प्राचीनतम जिंदा शहर कहा जाता है । माता अन्नपूर्णा का आशीर्वाद ऐसा कि काशी में कोई भी जीव खाली पेट नहीं सोता । काशी के विद्वान पण्डितों के मुख से जो वाणी निकलती है या उनकी लेखनी से जो कुछ भी लिखा जाता है वही अंतिम सत्य माना जाता है । जब तक महादेव की इच्छा नहीं होती तब तक कोई भी बाहरी व्यक्ति यहां शास्त्रोक्त, तंत्रोत्क या अघोर अनुष्ठान करना तो दूर यहां एक रात रुक भी नहीं सकता । बिना काशी के कोतवाल भगवान काल भैरव की अनुमति के इंसान तो दूर एक चींटी भी यहां रात्रि वास नहीं कर सकती ।